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Chyura Fruit Benefits : गाउट का पशुओं के लिए रामबाण इलाज, मच्छर-सांपों का काल, कमाई का खजाना!

Chyura Fruit Benefits : गाउट का पशुओं के लिए रामबाण इलाज, मच्छर-सांपों का काल, कमाई का खजाना!

Chyura Fruit Benefits:

फरवरी 2025 का महीना खत्म होने को है और उत्तराखंड के पहाड़ों से एक ऐसी खबर आ रही है, जो किसानों के लिए खुशहाली का पैगाम लेकर आई है। बात हो रही है च्यूरा फल की, जिसे “Indian Butter Tree” या “Chyura Fruit” के नाम से भी जाना जाता है। अगर आप गूगल पर “Chyura Fruit Benefits” या “gout remedy” सर्च कर रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए ही है। पहाड़ों में पाया जाने वाला ये बहुउपयोगी पेड़ न सिर्फ स्वादिष्ट फल देता है, बल्कि इसके बीजों से घी, तेल और कई घरेलू नुस्खों का खजाना भी तैयार होता है। बागेश्वर के विशेषज्ञ किशन मलड़ा ने बताया कि च्यूरा की खेती से न सिर्फ पर्यावरण बचेगा, बल्कि पहाड़ के लोग अच्छी कमाई भी कर सकते हैं।

 

ये च्यूरा कोई साधारण पेड़ नहीं है, इसे “कामधेनु” भी कहा जाता है, क्योंकि इसके हर हिस्से से कुछ न कुछ फायदा मिलता है। इसके फल मीठे और रसीले हैं, बीजों से घी निकलता है, पत्तियां पशुओं का चारा बनती हैं और खली मच्छर-सांपों को भगाने में कारगर है। Chyura Fruit Benefits की बात करें तो ये गाउट जैसी बीमारी में रामबाण साबित होता है। बागेश्वर में स्थानीय लोग इसे संरक्षित करने और इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए जोर-शोर से जुटे हैं। तो चलिए, इस खबर में जानते हैं कि च्यूरा कैसे पहाड़ों का “कल्पवृक्ष” बन सकता है और इसके फायदे क्या-क्या हैं।

 

च्यूरा का वानस्पतिक नाम है डिप्लोनेमा ब्यूटिरेसिया (Diploknema Butyracea), और ये उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में 300 से 1500 मीटर की ऊंचाई पर आसानी से उगता है। किशन मलड़ा बताते हैं कि ये पेड़ 5 से 9 साल की उम्र में फल देना शुरू करता है और जुलाई-अगस्त में इसके फल पकते हैं। एक पेड़ से औसतन 4-5 क्विंटल फल मिलते हैं, जिसमें से करीब 50% बीज होते हैं। इन बीजों को भूनकर घी निकाला जाता है, जो स्वाद में गाय के घी जैसा होता है। ये घी न सिर्फ खाने में मजेदार है, बल्कि गाउट की बीमारी में भी जबरदस्त फायदा देता है। इसके अलावा, च्यूरा के फलों से गुड़ और स्वादिष्ट पराठे भी बनाए जाते हैं, जो पहाड़ी स्वाद का अलग ही जादू बिखेरते हैं।

 

अब बात करते हैं इसके दूसरे फायदों की। च्यूरा की खली, जो बीजों से घी निकालने के बाद बचती है, उससे कीटनाशक दवा, साबुन, वैसलीन और मोमबत्तियां बनती हैं। ये खली इतनी ताकतवर होती है कि मच्छर और सांप तक इसके पास नहीं फटकते। यानी ये एक ऐसा प्राकृतिक उपाय है, जो आपके घर को कीटों से भी बचाता है। इसके पत्तों का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए होता है, जो पशुपालकों के लिए वरदान है। च्यूरा के फूलों से शहद बनता है, जो न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर है। इतना ही नहीं, इसकी लकड़ी ईंधन और इमारती काम में इस्तेमाल होती है, जिससे पहाड़ी लोगों की रोजमर्रा की जरूरतें भी पूरी होती हैं।

 

बागेश्वर में देवकी लघु वाटिका में च्यूरा के पेड़ों को संरक्षित किया जा रहा है और नए पौधे तैयार किए जा रहे हैं। किशन मलड़ा का कहना है कि सरकार और कृषि विशेषज्ञों को इसकी खेती को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि ये पहाड़ी इलाकों में रोजगार का बड़ा जरिया बन सकता है। एक पेड़ से 1.2 से 1.5 क्विंटल तेल निकलता है, और मौजूदा बाजार में च्यूरा का तेल ₹60 प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। यानी एक पेड़ से सालाना ₹7,000-9,000 की कमाई हो सकती है। अगर इसे बड़े पैमाने पर उगाया जाए, तो पहाड़ी किसानों की जेब भरने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

 

च्यूरा की खेती के लिए खास मेहनत की जरूरत नहीं है। ये पेड़ पहाड़ी ढलानों और नदी किनारों पर आसानी से उग जाता है। इसकी मजबूत जड़ें मिट्टी के कटाव को रोकती हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है। किशन मलड़ा बताते हैं कि च्यूरा के फल अप्रैल से जुलाई तक पकते हैं। पके फल जमीन पर गिरते हैं, जिन्हें इकट्ठा कर बीज निकाले जाते हैं। इन बीजों को सुखाकर, भूनकर और पानी में उबालकर घी बनाया जाता है। ये पारंपरिक तरीका भले ही मेहनत वाला हो, लेकिन इसका नतीजा इतना शानदार होता है कि मेहनत वसूल हो जाती है।

 

अब जरा इसके औषधीय फायदों पर नजर डालते हैं। च्यूरा का घी गाउट के मरीजों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। इसमें मौजूद फैटी एसिड्स और पोषक तत्व जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, च्यूरा की खली को घरेलू नुस्खे के तौर पर मच्छर और सांप भगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बस इसे घर के आसपास छिड़क दें, और कीट-पतंगे दूर भागेंगे। च्यूरा के फूलों से बना शहद अस्थमा और स्किन प्रॉब्लम्स में भी फायदेमंद है। यानी ये पेड़ न सिर्फ खेती के लिए, बल्कि सेहत के लिए भी खजाना है।

बागेश्वर के स्थानीय लोग अब च्यूरा की खेती को बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। सरकार भी इसे प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठा रही है। च्यूरा की बढ़ती मांग इसे किसानों के लिए फायदेमंद व्यवसाय बना सकती है। खासकर पहाड़ी इलाकों में, जहाँ रोजगार के मौके कम हैं, वहाँ ये पेड़ उम्मीद की किरण बन सकता है। च्यूरा न सिर्फ आर्थिक फायदा देता है, बल्कि पर्यावरण को हरा-भरा रखने में भी मदद करता है।

 

तो भाइयों, अगर आप उत्तराखंड में रहते हैं या पहाड़ों में खेती का सोच रहे हैं, तो च्यूरा आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। ये न सिर्फ आपकी सेहत का ख्याल रखेगा, बल्कि जेब भी भरेगा। Chyura Fruit Benefits को अपनाएं और इसे अपने खेत का हिस्सा बनाएं। खेत खजाना की ओर से यही सलाह है कि इस प्राकृतिक खजाने को संजोएं और इसका फायदा उठाएं। लेकिन हाँ, कोई भी औषधीय इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें, क्योंकि हर चीज हर किसी के लिए एक जैसी नहीं होती।

 

Sandeep Verma

नमस्ते दोस्तों, मैं पत्रकार संदीप वर्मा । पिछले 14 साल से पत्रकारिता में काम कर रहा हूं और अलग-अलग विषयों पर लिखना मुझे बहुत पसंद है। खासतौर पर खेती-बाड़ी, बागवानी और सरकारी योजना से जुड़े मुद्दों में मेरी गहरी रुचि है। मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि आपको सच्ची और सही जानकारी दे सकूं, ताकि आप इन विषयों को अच्छे से समझ सकें। अगर आप भी इन जरूरी और दिलचस्प बातों को जानना चाहते हैं, तो जुड़े रहें https://khetkhajana.com/ के साथ। धन्यवाद

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